यूरोपियन यूनियन (European Union) का विकास और उसके अंग
परिचय
यूरोपियन यूनियन यूरोपीय देशों का राजनैतिक व आर्थिक संगठन है. इसका विकास विभिन्न स्तरों पर हुआ है अर्थात यूरोपियन यूनियन की स्थापना किसी एक समझौते या संधि द्वारा नहीं बल्कि विभिन्न संधिओं तथा उनमे संशोधन के बाद हुई है. इसके विकास में 'पेरिस की संधि (1951)”,”रोम की संधि (1957)”,”मास्त्रिच की संधि (1993)” तथा 'लिस्बन की संधि (2009)” का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. वर्तमान में ब्रिटेन के यूनियन से बाहर हो जाने के बाद इसके केवल 27 सदस्य रह जायंगे. यूरोपियन यूनियन ने यूरोपीय देशों के राजनितिक व आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिससे यह संगठन विश्व की लगभग 22% अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करता है. यूरोपियन यूनियन की अपनी संसद,आयोग,मंत्रिपरिषद,परिषद्,न्यायालय तथा केंद्रीय बैंक है जिन्हें यूनियन के प्रमुख अंग भी कहा जाता है .यूरोपियन यूनियन की सांझी मुद्रा(Currency) यूरो(Euro) है जिसे यूनियन के केवल 19 सदस्य देशों द्वारा ही अपनाया गया है. शेनजेन संधि (1985) के द्वारा यूनियन ने अपने सदस्य देशों के नागरिकों को बिना पासपोर्ट के यूरोप के किसी भी देश में भ्रमण करने का अधिकार दिया. हालाँकि यह अधिकार कुछ सदस्यों को देर से भी दिया गया जैसे रोमानिया और बुल्गारिया जो यूनियन के सदस्य 2007 में बने किन्तु 2014 तक उन्हें यह अधिकार प्राप्त नहीं था परन्तु नार्वे,स्वीडन तथा आइस्लैण्ड को यूनियन का सदस्य न होते हुए भी यह अधिकार प्राप्त है. यूनियन में भिन्न-भिन्न संधिओं तथा संधिओं में संशोधन द्वारा विभिन्न बदलाव किये गए हैं जिसमें से मास्त्रिच की संधि प्रमुख है जिसके द्वारा यूरोपीय समुदाय (European Society) का नाम बदलकर यूरोपियन यूनियन (European Union) कर दिया गया. इसकी राजधानी ब्रिसेल्स में है.
यूरोपियन यूनियन का विकास
यूरोपियन यूनियन का विकास विभिन्न संधिओं व समझौतों के बाद हुआ जो निम्नलिखित हैं-
पेरिस की संधि(1951)
इस संधि पर 1951 में हस्ताक्षर किये गये तथा 1952 में लागू किया गया. इसके द्वारा यूरोप के 6 देशों ने कोयला और स्टील समुदाय का गठन किया जिसमें पश्चिमी जर्मनी, बेल्जियम, फ्रांस, इटली, लक्समबर्ग तथा नीदरलैंड शामिल थे. इन्हीं 6 देशों को यूरोपियन यूनियन के संस्थापक देश भी कहा जाता है.
रोम की संधि(1957)
इस संधि के द्वारा यूरोपीय आर्थिक समुदाय का गठन किया गया तथा यूरोपीय आर्थिक समुदाय का संस्थात्मक ढांचा भी तैयार किया गया. इस संधि के द्वारा ही यूरोप में एक समान प्रशुल्क संघ (equal tax organization) का भी गठन किया गया.
1967 में इससे पहले हुईं सभी संधिओं को मिलाकर यूरोपीय समुदाय बनाया गया.
यूरोपीय अधिनियम 1987 के द्वारा यूरोप का आर्थिक एकीकरण करने का प्रयास किया गया जिसके लिए सभी सदस्य देशों की मंजूरी पर सन 1992 में 'यूरोपीय सेंट्रल बैंक” की स्थापना की गयी.
मास्त्रिच की संधि(1993)
इस संधि के द्वारा यूरोपीय समुदाय का नाम बदलकर यूरोपियन यूनियन कर दिया गया मास्त्रिच की संधि में 3 मुख्य प्रावधान किये गए-
1)यूरोपीय आर्थिक समुदाय या समान मौद्रिक संघ- इस संधि में समान मुद्रा अपनाने की घोषणा की गयी जिसे 2001 में लागू किया गया. अभी तक यूनियन के केवल 19 सदस्यों ने ही संधि मुद्रा-यूरो को अपनाया है.
2) समान विदेश नीति और सुरक्षा का मुद्दा- यूरोपियन यूनियन के 27 में से 21 देश नाटो(NATO) के सदस्य हैं जो सुरक्षा का मुख्य मुद्दा है क्योंकि यूरोपियन यूनियन की अपना कोई सुरक्षा संघ नहीं है.
3)समान गृह और न्याय के मामले-1985 की शेनजेन संधि के द्वारा यूरोपीय नागरिकों को बिना पासपोर्ट के पुरे यूरोप में कहीं भी भ्रमण करने की अनुमति दी गयी जिसे 1995 में लागू किया गया. परन्तु यह अधिकार सभी सदस्य देशों को तुरंत नहीं डे दिए गए जैसे रोमानिया और बुल्गारिया जो यूनियन के सदस्य 2007 में बने किन्तु 2014 तक उन्हें यह अधिकार प्राप्त नहीं था परन्तु नार्वे,स्वीडन, लिचिंस्तीन तथा आइस्लैण्ड को यूनियन का सदस्य न होते हुए भी यह अधिकार प्राप्त है.
यूरोपियन यूनियन की सदस्यता के लिए कोपरहेगन मानदंडों का निर्धारण भी किया गया-
I)लोकतान्त्रिक शासन प्रणाली
II)मानवाधिकारों का अच्छा रिकॉर्ड
III)अच्छे राजकोषीय प्रबंध
लिस्बन की संधि(2009)-इस संधि को 2007 में पूरा किया गया परन्तु 2009 में लागू किया गया. यह संधि मुख्येतः पिछली 2 संधिओं का संशोधन था पहली रोम की संधि जिसे बदलकर यूरोपियन यूनियन पर संधि (Treaty on European Union) (2007) नाम दिया गया तथा दूसरी मास्त्रिच की संधि जिसेयूरोपियन यूनियन के कामकाज पर संधि (Treaty on the Functioning of the European Union) (2007) नाम दिया गया.
यूरोपियन यूनियन के अंग
1)यूरोपीय संसद-यूरोपियन यूनियन की अपनी एक संसद है जिसके 751 सदस्य हैं. संसद के इन सदस्यों का चुनाव यूरोपीय नागरिकों द्वारा प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा किया जाता है. प्रत्येक देश से उसकी जनसँख्या के आधार पर ही सदस्यों का निर्वाचन किया जाता है अर्थात् जर्मनी के सबसे अधिक प्रतिनिधि यूरोपियन यूनियन के सदस्य हैं.
2)यूरोपीय आयोग-इसकी सदस्य संख्या 28 है तथा ब्रिटेन के यूनियन से बाहर हो जाने के बाद यह केवल 27 ही रह जायगी. यह यूनियन की नौकरशाही संस्था है. इसका एक अध्यक्ष होता है जिसे यूरोपीय परिषद् द्वारा मनोनीत किया जाता है तथा इसका कार्य यूनियन में निर्मित विधिओं का प्रारूप तैयार करना है.
3)यूरोपीय मंत्रिपरिषद-इसका एक अध्यक्ष होता है तथा सदस्य देशों से एक-एक मंत्री शामिल होता है. यह यूनियन की प्रमुख निर्णय लेनी वाली संस्था है.
4)यूरोपीय परिषद्-यह एक अध्यक्ष का चुनाव करती है जो यूरोपीय आयोग तथा यूरोपीय यूनियन का अध्यक्ष होता है इसे ढाई वर्ष के लिए चुना जाता है.
5)यूरोपीय न्यायालय-इसमें प्रत्येक सदस्य देश से एक न्यायधीश को 6 वर्षों के लिए चुना जाता है. ये न्यायधीश यूनियन की विधिओं की व्याख्या करते हैं. यह न्यायालय लक्समबर्ग में स्थित है.
6)यूरोपीय सेंट्रल बैंक-इसकी स्थापना यूरोप के आर्थिक एकीकरण के लक्ष्य से की गयी थी जिसके चलते समान मुद्रा को अपनाया गया. हालाँकि सेंट्रल बैंक में आर्थिक सहायता देने का प्रावधान नहीं है परन्तु फिर भी ग्रीस की आर्थिक दशा देखते हुए बैंक द्वारा उसे आर्थिंक सहायता प्रदान की गयी. यह बैंक जर्मनी, फ्रेंकफोर्ट में स्थित है.
निष्कर्ष(Conclusion):-यूरोपियन यूनियन विश्व के सबसे मजबूत क्षेत्रीय संगठनों में से एक है परन्तु ब्रिटेन के इससे बाहर हो जाने के फैसले से इसके विस्तार में बाधा आने की संभावनाओं की अटकलें लगायी जा रही हैं क्योंकि यूनियन में सबसे अधिक योगदान करने वाला ब्रिटेन है.लेकिन देखा जाये तो कोई भी संगठन एक सदस्य के बलबूते नहीं चलता बल्कि संगठन में सभी सदस्यों की अहम् भूमिका होती है. यूनियन का सदस्य बनने के लिए सर्बिया, हर्जेगोविना, अल्बानिया, इत्यादि देश तत्पर हैं.
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